ख्यात कथाकार, साहित्यकार विष्णु प्रभाकर आज से हमारे बीच नहीं हांेगे। होगी तो केवल उनकी यादें जिनमें हम हिंदी साहित्य के स्वतंत्रता प्राप्ति से लेकर आज तक के विकास के सोपानों पर विचार कर सकेंगे। प्रख्यात बंग्ला उपन्यासकार शरत चंद्र की जीवनी को ‘आवारा मसीहा’ के नाम से पाठकों के सामने लाकर उन्होंने उस महान लेखक के सदंर्भो को आम आदमी के लिए सुलभ कराने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। गांधीवादी विचारक विष्णु प्रभाकर के लिए पुरस्कार कोई मायने नहीं रखते। उन्होंने हमेशा पुरस्कार देने वाली संस्था को ही सम्मानित किया। पुनः स्वर्गीय विष्णु प्रभाकर को कथा चक्र परिवार की विनम्र श्रृद्धांजलि।

1 تعليقات

  1. visnu prabhakarji ki kami sahitya jagat main rahegi,lekin wo apne sahityon main hamesha hamare beech maujood rahenge.

    ردحذف

إرسال تعليق

أحدث أقدم