पत्रिका: साहित्य परिक्रमा, अंकः जुलाई-सितम्बर 2012, स्वरूप: त्रौमासिक, संपादक: जीत सिंह जीत, मुरारी लाल गुप्ता, मूल्य: 15रू. (वार्षिक 60 रू.), ई मेल:  , वेवसाइट: उपलब्ध नहीं, फोन: 09425407471, सम्पर्क:   राष्ट्रोत्थान भवन, माधव महाविद्यालय के सामने, नई सड़क ग्वालियर म.प्र. 
 अखिल भारतीय साहित्य परिषद न्यास द्वारा विगत 13 वर्ष से निरंतर प्रकाशित की जा रही पत्रिका साहित्य परिक्रमा का प्रत्येक अंक विशेषांक होता है। समीक्षित अंक में भी संग्रह योग्य पठ्नीय रचनाओं का प्रकाशन किया गया हैै। इनमें साहित्यिकता के साथ साथ समाज को जोड़ने वाले विचारों की प्रचुरता है। प्रकाशित कहानियों में संध्या की ओर(इंदु गुप्ता) तथा आंगन की रोशनी(डाॅ. कामिनी) विशेष रूप से वर्तमान बदलते समाज की कहानियां हैं। महेश पाण्डेय तथा संजय शर्मा की लघुकथाएं सार्थक तथा समयानुकूल रचनाएं हैं। सपंतदेवी मुरारका का यात्रा विवरण रोचकता से भरपूर है। अब्बासखान के व्यंग्य में कटाक्ष की कमी रह गई, इस व्यंग्य के लेखन में अभी ओर  समय दिया जाना चाहिए था। डाॅ. अवधेश चंसोलिया तथा आचार्य भगवत दुबे के आलेखांे में अच्छा विषयगत विश्लेषण है। डाॅ. शैलेन्द्र स्वामी, सतीश चतुर्वेदी, मोतीलाल विजयवर्गीय, डाॅ. एन.एस. शर्मा तथा संजय जोशी के शोधपरक आलेख शोधार्थी के साथ  साथ आम पाठक के लिए भी समान रूप से उपयोगी हैं। कविताओं  में डाॅ. रामस्वरूप खरे, मधुर गंजमुरादाबादी, देवेन्द्र आर्य, भानुदत्त त्रिपाठी, जगदीश श्रीवास्तव की कविताएं, गीत व ग़ज़ल प्रभावित करते हैं। अन्य रचनाएं, समीक्षाएं व समाचार आदि भी रोचक व समसामयिक हैं। 

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