पत्रिका:समय के साखी, अंक: अगस्त 2010, स्वरूप: मासिक, संपादक: डाॅ. आरती, पृष्ठ: 60, मूल्य: 20रू.(वार्षिक 220 रू.), ई मेल: , वेबसाईट/ब्लाॅग: , फोन/मो. 09713035330, सम्पर्क: बी 308, सोनिया गांधी काम्पलेक्स, हजेला हाॅस्पिटल के पास, भोपाल 462003 म.प्र.
समय के साखी के समीक्षित अंक में कुछ अच्छी सार्थक रचनाओं का प्रकाशन किया गया है। पत्रिका का स्वर तो प्रगतिवादी है लेकिन पत्रिका बाज़ारवाद को पूरी तरह से खारिज भी नहीं करती है। यह इस पत्रिका के इस समीक्षित अंक में महसूस किया जा सकता है। अंक में सुधीर विद्यार्थी व अर्चना द्विवेदी के आलेख भी इसी बात की पुष्टि करते हैं। प्रेमशंकर रघुवंशी, कैलाश पचैरी, नरेन्द्र गौड़, जितेन्द्र धीर व राहुल आदित्य राय अब भूमंडलीकरण में प्रगति का स्वर ढूंढ रहे हैं। चित्रा मुदगल की कहानी ‘अपनी वापसी’ पुनः पढ़कर अच्छा लगा। अमलेन्द्रु उपाध्याय, कृष्ण कुमार यादव के लेख भी पत्रिका का स्वर प्रखर करते हंैं। अन्य रचनाएं,समीक्षाएं भी ठीक ठाक हैं।

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