पत्रिका-पूर्वग्रह, अंक-अक्तूबर-दिसम्बर.09, स्वरूप-त्रैमासिक, प्रधान संपादक-डाॅ. प्रभाकर श्रोत्रिय, पृष्ठ-158, मूल्य-30रू.(वार्षिक-100रू.), सम्पर्क-भारत भवन न्यास, ज. स्वामीनाथन मार्ग, श्यामला हिल्स, भोपाल म.प्र. फोनः (0755)2660239, ईमेलः bharatbhavantrust@gmail.com
पत्रिका के समीक्षित अंक को वरिष्ठ कवि कैलाश वाजपेयी जी पर एकाग्र किया गया हैैै। प्रकाशित आलेखों मंे उनके नाटककार, कवि तथा चिंतक रूप के दर्शन होते हैं। उनकी कविताएं आम जन को विलोड़ित करती प्रतीत होती हैं। सुषमा भटनागर ने उनसे लिए साक्षात्कार में सृजन से संबंधित प्रश्न पूछकर पाठकोपयोगी उत्तर प्राप्त किए हैं। हरदयाल, कुबेरदत्त एवं रमेश ऋषिकल्प उनके अंदर छिपी हुई असीमित क्षमता को अपने आलेखों में व्यक्त करते हैं। राधावल्लभ त्रिपाठी का आलेख ‘वाणी मेरी तुझे चाहिए अलंकार’ तथा विमर्श के अंतर्गत आलेख प्रत्येक कला संस्कृति के जानकार के लिए उपयोगी है। विशेष रूप से श्रीराम परिहार, श्री प्रकाश शुक्ल का विमर्श हर उस आम आदमी के लिए हैै जिसे जीवन का आनंद चाहिए। अमृता भारती तथा बोधिसत्व की कविताएं इस सत्य से साक्षात्कार कराती हैं कि जीवन के पार भी एक और जीवन है। उस जीवन में भी आनंद हर्ष तथा मेलजोल एवं सहिष्णुता के लिए पर्याप्त स्थान है। शांता सरबजीत सिंह, निर्मल कुमार एवं मनमोहन संस्कृति विमर्श के माध्यम से हमारी संस्कृति पर विशेष रूप से दृष्टिपात करते हैं। ख्यात लेखक मुन्ना शुक्ला एवं योगेन्द्र कृष्णा ने साहित्य जगत के उन पहलुओं पर विचार प्र्रगट किए हैं जो प्राय सामान्य पाठक से अछूते रहे हैं। पत्रिका की सर्वाधिक प्रशंसनीय व आत्मसात करने वाली रचना ‘बादल सरकारःतीसरा नाटक’(रणजीत साहा) है। इस आलेख में भारतीय रंगमंच में उनके योगदान की चर्चा की गई है। पूर्वग्रह के प्रत्येक अंक के समान 127 अंक का संपादकीय भी एक विचारपूर्ण गंभीर आलेख है। पत्रिका के इस सुंदर अंक के लिए संपादक श्री प्रभाकर श्रोत्रिय व उनकी टीम बधाई की पात्र है।

1 टिप्पणियाँ

  1. अरे वाह, कैलाश वाजपेयी जी पर केंद्रित...खोजता हूं इस पत्रिका का अंक।

    अखिलेश जी कभी कुछ सामग्री कविता-ग़ज़ल केंद्रित लघु पत्रिकाओं पर भी दें..प्रयास, काव्या, आदि...

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