पत्रिका-कथादेश, अंक-फरवरी.09, स्वरूप-मासिक, संपादक-हरिनारायण, पृष्ठ-98, मूल्य-20रू.,(वार्षिक200रू), संपर्क-सहयात्रा प्रकाशन प्रा.लि. सी-52, जेड़-3, दिलशाद गार्डन, दिल्ली 110095(भारत)
पत्रिका के इस अंक में पांच कहानियां शामिल हैं। प्रत्येक कहानी अपने आप में अलग पृष्ठभूमि पर लिखी गई है। जिनमें घुसपैठ(राजेन्द्र राव), तितली को ग्रामर आती है(भवप्रीतानंद) एवं विस्थापित(सुमति सक्सेना लाल) प्रमुख है। आलेखों में ‘पाप और शास्त्रीय कलाएंःतीसरा विकल्प’(शंभुनाथ), ‘हास्य और व्यंग्य’(गौतम सान्याल), ‘असंभव को संभव करती कुछ प्रार्थनाएं’(सुमन केसरी) उल्लेखनीय है। दिवंगत कथाकार लवलीन पर सत्यनारायण तथा एकांत श्रीवास्तव ने संस्मरण लिखे हैं। कविताओं से दलपत चैहान, मुकेश कोरिया तथा अरविंद बेगड़ा प्रभावित करते हैं। रवीन्द्र त्रिपाठी ने ‘वैकल्पिक मीड़िया यानी क्या’ में कुछ अच्छे प्रश्न उठाए हैं। ‘क्या हम अपनी भाषा में कुछ भी लिख सकते हैं’ पत्रिका का एक साधारण आलेख है। जिसमें कुछ भी का आशय स्पष्ट नहीं होता है। अन्य स्थायी स्तंभ, समीक्षाएं, पाठकों के पत्र, साहित्यिक गतिविधियां/ समाचार आदि में कोई नयापन नहीं है। पत्रिका का अपने वर्षो पुराने बंधे बंधाए फार्मूले से हटकर कुछ नया देना चाहिए।
jankari dene ke liye dhanyawad kya ye bhopal main uplabdh hai
जवाब देंहटाएंsarparast.blogspot.com
this is a nice story.
जवाब देंहटाएंHaiku Poems
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