पत्रिका-समापवर्तन, अंक-जनवरी।09,स्वरूप-मासिक संस्थापक-प्रभात कुमार भट्टाचार्य, प्रधान संपादक-रमेश दवे, प्रबंध संपादक-रमेश सोनी, सम्पादक-निरंजन श्रोत्रिय, मुकेश वअर्मा, मूल्य-15 रू. सम्पर्क-माधवी, 129, दशहरा मैदान, उज्जैन म.प्र।

मध्यप्रदेश से प्रकाशित इस नवोदित पत्रिका ने अल्प समय में ही राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। जगदीश शर्मा का सच्चे सुख का मूल मंत्र तथा अमृत लाल वेगड़ की रचनाएं विशेष रूप से उल्लेखनीय है। नर्मदा पर उनके द्वारा लिखे गए लेख पत्रिका की महत्वपूर्ण उपलब्धि है। कृष्णकांत निलोसे, कमलेश्वर साहू, ब्रज श्रीवास्तव, चन्द्रभान भारद्वाज की कविताएं तथा आशीष की ग़ज़लें सरसता लिए हुए हैं। ख्यात चित्रकार एवं साहित्यकार अखिलेश से पीयूष दहिया की बातचीत तथा उनपर केन्द्रित अन्य रचनाएं प्रभावशाली हैं। परमानंद श्रीवास्तव, विष्णुदत्त नागर, जुगलबंदी के अंतर्गत निरंजन श्रोत्रिय की कविता ने समावर्तन को महत्तम किया है। ख्यात संस्मरणकार कांति कुमार जैन, अष्टभुजा शुक्ल, तथा मुकेश वर्मा की कहानी प्रभावशाली रचनाएं हैं। पत्रिका ने श्रीराम दवे ने कथा चक्र के चार अंकों पर गंभीरतापूर्वक विचार किया है। जिसमें इस पत्रिका द्वारा अल्प समय में प्राप्त उपलब्धियों पर विचार किया गया है। अन्य रचनाएं भी पठ्नीय तथा संग्रह योग्य हैं।


Post a Comment

और नया पुराने